वो यादें बड़ी अज़ीज़ सी
जब हम पतंग उड़ाया करते थे
दो पहिया साइकिल के पीछे
पतंग लगाए, रेस लगाया करते थे
दौड़ते भागते एक दूजे की पतंग काटते
जब थक जाया करते थे
रंग बिरंगी पतंगों को हाथ में लिए
फिर खूब ठहाके लगाते थे
इस मस्ती और सैर सपाटे में
भूख जब लग आती थी
तब निकलते थे घाट घाट का पानी पीने
सबकी मम्मीयां खूब तिल लड्डू खिलाती थीं
वो यादें बड़ी अज़ीज़ सी
जब हम पतंग उड़ाया करते थे
रंग बिरंगी पतंगे आसमां में
खूब लहराया करते थे . . .
Very nice
ReplyDeleteThank you :)
DeleteTruly nostalgic. 👌
ReplyDeleteGlad you feel the same :)
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