सामने आते देख रास्ता मोड़ लेते हैं
हाथ मिलाना तो दूर, नज़रे चुरा लेते हैं
आज कल की यह हवा ही ऐसी है,
न मिलने के कई बहाने ढूंढ लेते हैं।
दूरियाँ कम नहीं, बढ़ गई हैं इस कदर
अब तो नाम भी अब शायद भूले जाते हैं,
सोचते थे साथ था हमेशा का जो
समय निकलते गलत फहमी में बदल जाते हैं।
Nice ..Very touching.
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