आहट सुनी तो लगा तुम हो,
साया नज़र आया तो लगा तुम ही हो ।
मुड़के देखा दोबारा, न पाया किसी को
उम्मीद से ही अपना दिल बहलाया।
कशिश थी दिल में एक झलक पाने की,
न जाने कहाँ हो, सोचके मन डगमगाया।
संभाला है इसे न जाने कबसे,
इन्तेहाँ हुई इंतेज़ार की अब न रुक सके हमसे।
सोचते टहलते ख्यालों में फिर खुद को पाया,
उम्मीद के भरोसे दिल फिर बहलाया।
सच ही तो है, समय है बलवान, यह सोचके,
हवा के झोंके में खुद को मुस्कुराता पाया।
Wow such amazingly written short poem.
ReplyDeleteThank you Yogi.
DeleteSo beautifull, you write so well. Keep it up Stuti.
ReplyDeleteThank you sahil ☺️
DeleteAapke labs humesha se hi laajawaab hote hai ..ekdam Dil se..kaash I would have known to reply it in Hindi actually
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया 😊
DeleteWhat a piece of poetry. Loved the write up.
ReplyDeleteThank you 😊
Deleteबहुत ही प्यारा लिखा है. पढ़ के आनंद आया.
ReplyDeleteधन्यवाद बंधु 😊
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