दिल ही दिल में (dil hi dil mein)



आहट सुनी तो लगा तुम हो,
साया नज़र आया तो लगा तुम ही हो ।
मुड़के देखा दोबारा, न पाया किसी को
उम्मीद से ही अपना दिल बहलाया।


कशिश थी दिल में एक झलक पाने की,
न जाने कहाँ हो, सोचके मन डगमगाया।
संभाला है इसे न जाने कबसे,
इन्तेहाँ हुई इंतेज़ार की अब न रुक सके हमसे।


सोचते टहलते ख्यालों में फिर खुद को पाया,
उम्मीद के भरोसे दिल फिर बहलाया।
सच ही तो है, समय है बलवान, यह सोचके,
हवा के झोंके में खुद को मुस्कुराता पाया।


Comments

  1. Wow such amazingly written short poem.

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  2. So beautifull, you write so well. Keep it up Stuti.

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  3. Aapke labs humesha se hi laajawaab hote hai ..ekdam Dil se..kaash I would have known to reply it in Hindi actually

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया 😊

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  4. What a piece of poetry. Loved the write up.

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  5. बहुत ही प्यारा लिखा है. पढ़ के आनंद आया.

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